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ए॒ष दिवं॒ वि धा॑वति ति॒रो रजां॑सि॒ धार॑या । पव॑मान॒: कनि॑क्रदत् ॥

अंग्रेज़ी लिप्यंतरण

eṣa divaṁ vi dhāvati tiro rajāṁsi dhārayā | pavamānaḥ kanikradat ||

पद पाठ

ए॒षः । दिव॑म् । वि । धा॒व॒ति॒ । ति॒रः । रजां॑सि । धार॑या । पव॑मानः । कनि॑क्रदत् ॥ ९.३.७

ऋग्वेद » मण्डल:9» सूक्त:3» मन्त्र:7 | अष्टक:6» अध्याय:7» वर्ग:21» मन्त्र:2 | मण्डल:9» अनुवाक:1» मन्त्र:7


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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (एषः) उक्त परमात्मा (दिवम्) द्युलोक को (वि) नानाप्रकार से (रजांसि) परमाणुपुञ्ज के (धारया) प्रबल वेगों से (तिरो वि धावति) ढक देता है। (पवमानः) सबको पवित्र करनेवाला परमात्मा (कनिक्रदत्) अपनी प्रबल गति से सर्वत्र गर्ज रहा है ॥७॥
भावार्थभाषाः - परमात्मा नाना प्रकार के परमाणुओं से द्युलोकादि लोक-लोकान्तरों का आच्छादन करता है और अपनी सत्ता से सर्वत्र विराजमान हुआ सबको शुभ मार्ग की ओर बुला रहा है ॥७॥
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आर्यमुनि

पदार्थान्वयभाषाः - (एषः) उक्तः परमात्मा (दिवम्) द्युलोकम् (वि) नानाप्रकारेण (रजांसि) परमाणुपुञ्जस्य (धारया) प्रबलवेगेन (तिरोधावति) आच्छादयति (पवमानः) सर्वेषां पविता परमात्मा (कनिक्रदत्) स्वीयप्रबलगत्या सर्वत्र गर्जति ॥७॥